Wednesday, February 23, 2011

ek Inch!


एक इंच,
इसे छोटा न समझना!

ट्रेन में किसी से कभी,
एक इंच खिसकने को कहा है?
स्टेशन पे लगी बेंच पर,
एक इंच की जगह मांगी है?

चेहरे पे ऐसी मायूसी आ जाती है,
जैसे किसी ने कश्मीर पर कब्ज़ा कर लिया हो!
या फिर,
किसी ने ताज को चिंगारी दी हो!!

थकी हारी शाम को,
आँखें मूंदे घर जाते लोग!
जो करना है, उससे आँखें मूंदे!!
जो नहीं करना है, उससे आँखें मूंदे!!

अपने चारों तरफ एक इंच का दायरा बनाकर,
बाकी सबसे आँखें मूंदे!!
शायद सोचते हौंगे,
फिर ये एक इंच हो न हो!!

2 comments:

  1. samaaj k sikudte daayre par sunder kataksh hain ye panktian.chhoti lekin sampoorn bhavon ki vaahak.keep it up.luv u.

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