मुझे महिला दिवस की शुभकामनायें मत दो!
जिस दिन मैं पैदा हुई, उस दिन ये मत कहो की चलो कोई बात नहीं!
जब मैं खेलने जाऊं तो ये मत कहो कि ये तुम्हारे खेल नहीं!
जब मैं पढ़ने जाऊं तो ये मत कहो कि इतना पढ़ के क्या होगा!
जब मैं कुछ बनना चाहूं तो ये मत कहो कि ये तुम कैसे बन सकती हो!
जब मैं कपडे पहनूं तो मुझे ये मत कहो कि तुम ये मत पहनो!
जब मैं अकेली जाऊं तो ये मत कहो कि पापा को ले जाओ!
जब मैं बस में जाऊं तो मुझे अलग कुर्सी मत दो!
जब कोई आदमी रोये तो मत कहो कि क्या औरतों कि तरह रोते हो!
जब मेरे साथ कुछ गलत हो तो ये मत कहो कि तुम चुप रहो!
मुझे एक ऐसी दुनिया दो जहाँ मुझे रोज़ ये याद न दिलाया जाए कि मैं एक महिला हूँ!
ये मेरा सपना है!
अब ये मत कहो कि तुम सपने मत देखो!
जिस दिन मैं पैदा हुई, उस दिन ये मत कहो की चलो कोई बात नहीं!
जब मैं खेलने जाऊं तो ये मत कहो कि ये तुम्हारे खेल नहीं!
जब मैं पढ़ने जाऊं तो ये मत कहो कि इतना पढ़ के क्या होगा!
जब मैं कुछ बनना चाहूं तो ये मत कहो कि ये तुम कैसे बन सकती हो!
जब मैं कपडे पहनूं तो मुझे ये मत कहो कि तुम ये मत पहनो!
जब मैं अकेली जाऊं तो ये मत कहो कि पापा को ले जाओ!
जब मैं बस में जाऊं तो मुझे अलग कुर्सी मत दो!
जब कोई आदमी रोये तो मत कहो कि क्या औरतों कि तरह रोते हो!
जब मेरे साथ कुछ गलत हो तो ये मत कहो कि तुम चुप रहो!
मुझे एक ऐसी दुनिया दो जहाँ मुझे रोज़ ये याद न दिलाया जाए कि मैं एक महिला हूँ!
ये मेरा सपना है!
अब ये मत कहो कि तुम सपने मत देखो!