कुछ नए ज़ेवर बनवाने का मन है!
कुछ चीज़ें इकठ्ठा हैं शायद काम आ जाएं.
सोचती हूँ कि तुम्हारी खिलखिलाहट के झुमके कैसे लगेंगे.
तुम जो प्यार से मां कहती हो, उसकी बालियां कैसी लगेंगी.
तुम जो अपनी ही किसी जुबां में लम्बा सा कुछ बोल देती हो उसकी माला बनवाऊँ तो?
घर में तुम जो अपनी खुशबू बिखेरती हो उसके कंगन हों तो कैसा हो,
आँखें मटका के जो इशारे करतीं हो उसकी पायल पहनूँ तो?
नन्ही सी बाहें जब गले में डालती हो और झाँक के देखतीं हो, उसका मांग टीका कैसा रहेगा,
आँखें चमका के जब मुस्कुरातीं हो उसकी बिंदी कितनी सुन्दर होगी.
इन ज़ेवरों से तो कभी मन नहीं भरेगा,
अच्छा है इनके लिये लॉकर की ज़रुरत नहीं होती.
कुछ चीज़ें इकठ्ठा हैं शायद काम आ जाएं.
सोचती हूँ कि तुम्हारी खिलखिलाहट के झुमके कैसे लगेंगे.
तुम जो प्यार से मां कहती हो, उसकी बालियां कैसी लगेंगी.
तुम जो अपनी ही किसी जुबां में लम्बा सा कुछ बोल देती हो उसकी माला बनवाऊँ तो?
घर में तुम जो अपनी खुशबू बिखेरती हो उसके कंगन हों तो कैसा हो,
आँखें मटका के जो इशारे करतीं हो उसकी पायल पहनूँ तो?
नन्ही सी बाहें जब गले में डालती हो और झाँक के देखतीं हो, उसका मांग टीका कैसा रहेगा,
आँखें चमका के जब मुस्कुरातीं हो उसकी बिंदी कितनी सुन्दर होगी.
इन ज़ेवरों से तो कभी मन नहीं भरेगा,
अच्छा है इनके लिये लॉकर की ज़रुरत नहीं होती.